Sardar Vallabhbhai Patel Birth Anniversary 2023 : आज सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती है। 31 अक्तूबर को सरदार पटेल का जन्म हुआ था। आज उनकी 148वीं जयंती मनाई जा रही है । जिसे ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ रूप में मनाया जाता है उन्हें भारत का लौह पुरुष कहा जाता है। सरदार पटेल का जीवन युवाओं के लिए प्रेरणा है। उन्होंने आजाद भारत में बिखरी हुई रियासतों का विलय करते हुए एकता के सूत्र में बाधा। इस कारण 31 अक्तूबर के दिन प्रतिवर्ष उनकी जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के तौर पर मनाते हैं। सरदार वल्लभ भाई पटेल देश के पहले उप प्रधानमंत्री थे। वह त्याग और बलिदान की मिसाल भी थे। अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुए भारत में सरदार पटेल को देश के पहले प्रधानमंत्री के तौर पर देखा जाने लगा था। कांग्रेस पार्टी में सभी चाहते थे सरदार पटेल प्रधानमंत्री बने लेकिन दावेदारी में जवाहर लाल नेहरू का भी नाम था। महात्मा गांधी के कहने पर सरदार पटेल ने प्रधानमंत्री की रेस से अपना नाम वापस ले लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल की याद में 31 अक्टूबर को National Unity Day के रूप में घोषित किया था और इस दिन को 2014 से हर साल मनाया जा रहा है।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी जयंती के अवसर पर गुजरात के केवडिया में सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा पर ‘जलाभिषेक’ किया और पुष्पांजलि अर्पित की, जिसे राष्ट्रीय एकता दिवस (राष्ट्रीय एकता दिवस) के रूप में मनाया जाता है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज राष्ट्रीय एकता दिवस से संबंधित कार्यक्रमों में भाग लिया। उन्होंने सरदार पटेल की जयंती पर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। श्री मोदी ने राष्ट्रीय एकता दिवस परेड देखी जिसमें बीएसएफ और विभिन्न राज्य पुलिस की टुकड़ियां, सभी महिला सीआरपीएफ बाइकर्स का साहसिक शो, बीएसएफ का महिला पाइप बैंड, गुजरात महिला पुलिस द्वारा कोरियोग्राफ किया गया कार्यक्रम, विशेष एनसीसी शो, स्कूल बैंड का प्रदर्शन, भारतीय फ्लाई पास्ट शामिल थे। सभा को संबोधित करते हुए, प्रधान मंत्री ने टिप्पणी की कि राष्ट्रीय एकता दिवस भारत के युवाओं और उसके योद्धाओं की एकता की ताकत का जश्न मनाता है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, ”एक तरह से मैं लघु भारत का स्वरूप देख सकता हूं।” उन्होंने रेखांकित किया कि भले ही भाषाएं, राज्य और परंपराएं अलग-अलग हों, लेकिन देश का हर व्यक्ति एकता के मजबूत सूत्र में बंधा हुआ है। “मोतियाँ तो बहुत हैं, लेकिन माला एक है। भले ही हम विविध हैं, हम एकजुट हैं”, उन्होंने कहा। जिस तरह 15 अगस्त और 26 जनवरी को स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस के रूप में मान्यता दी जाती है, उसी तरह प्रधान मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि 31 अक्टूबर पूरे देश में एकता का त्योहार बन गया है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस का जश्न, कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस परेड और मां नर्मदा के तट पर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी द्वारा राष्ट्रीय एकता दिवस का जश्न राष्ट्रीय उत्थान की त्रिमूर्ति बन गया है। आज के कार्यक्रम के बारे में बोलते हुए, प्रधान मंत्री ने कहा कि जो लोग एकता नगर आते हैं वे न केवल स्टैच्यू ऑफ यूनिटी देखते हैं बल्कि उन्हें सरदार साहब के जीवन और भारत की राष्ट्रीय एकता में उनके योगदान की झलक भी मिलती है। श्री मोदी ने कहा, “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी एक भारत, श्रेष्ठ भारत के आदर्शों का प्रतिनिधित्व करती है। प्रधान मंत्री ने सरदार पटेल को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए और नागरिकों को राष्ट्रीय एकता दिवस की बधाई देते हुए कहा, “सरदार साहब के आदर्श 140 करोड़ नागरिकों के मूल हैं जो एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना का जश्न मनाने के लिए एकजुट होते हैं। उन्होंने कहा, “आज एकता नगर को वैश्विक हरित शहर के रूप में पहचाना जाता है।” विभिन्न पर्यटक आकर्षणों के अलावा, प्रधान मंत्री ने बताया कि पिछले 6 महीनों में ही एकता नगर में 1.5 लाख से अधिक पेड़ लगाए गए हैं। इलाके में पहले से ही मजबूत सौर ऊर्जा उत्पादन और शहरी गैस वितरण को छूते हुए, प्रधान मंत्री ने कहा कि आज एकता नगर में एक हेरिटेज ट्रेन का आकर्षण जोड़ा जाएगा। उन्होंने बताया कि पिछले 5 वर्षों में 1.5 करोड़ से अधिक पर्यटक आए हैं, जिससे स्थानीय आदिवासी समुदायों को रोजगार के अवसर मिलने में मदद मिली है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का भारत नया भारत है जहां हर नागरिक आत्मविश्वास से भरा हुआ है। उन्होंने यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया कि यह विश्वास बना रहे और एकता की भावना बनी रहे।
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सरदार पटेल का जीवन परिचय
गुजरात के खेड़ा जिले में 31 अक्तूबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म हुआ था। एक किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले पटेल ने अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर भविष्य में खास बन गया। वह आजादी की जंग का हिस्सा बने। इस दौरान उन्होंने शराब, छुआछूत और स्त्री अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई। हिंदू मुस्लिम एकता को बनाए रखने का प्रयास जारी रखा और आंदोलन के दौरान कई बार जेल भी गए।
बन सकते थे पहले प्रधानमंत्री
जब भारत को आजादी मिली तो देशवासी अपनी नई सरकार बनाने के लिए तैयार थे। पूरे देश की निगाहें कांग्रेस के नए अध्यक्ष के नाम पर टिकी थीं। माना जा रहा था कांग्रेस नया अध्यक्ष ही भारत का पहला प्रधानमंत्री होगा। सरदार पटेल की लोकप्रियता के चलते कांग्रेस कमेटी ने नेहरू का नाम प्रस्तावित नहीं किया और पटेल पूर्ण बहुमत से पार्टी के अध्यक्ष बन गए लेकिन पार्टी में विच्छेद की संभावना को खत्म करने के लिए गांधी जी ने सरदार पटेल को प्रधानमंत्री पद से पीछे हटने को कहा। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने गांधी जी की बात का मान रखते हुए अपना नामांकन वापस ले लिया।
रियासतों का भारतीय संघ में विलय
पटेल को देश का पहला उप प्रधानमंत्री बनाया गया। उन्हें कई और जिम्मेदारियां सौंपी गईं। उस समय पटेल के सामने सबसे बड़ी चुनौती देसी रियासतों का भारत में विलय था। छोटे बड़े राजाओं, नवाबों और रजवाड़े खत्म करते हुए उन्हें भारत सरकार के अधीन करना आसान नहीं था लेकिन बिना किसी जंग के सरदार पटेल ने 562 रियासतों का भारत संघ में विलय कराया।
कैसे मिली सरदार और लौह पुरुष की उपाधि
आजादी के आंदोलन में पटेल का बड़ा योगदान था। इसमें सबसे पहला और बड़ा 1918 में खेड़ा आंदोलन का योगदान था। गांधीजी की अहिंसा की नीति से प्रभावित होकर वे आजादी के आंदोलनों में भाग लेने लगे। 1928 में बारदोली सत्याग्रह आंदोलन सफल होने के बाद उन्हें ‘सरदार’ की उपाधि दी गई। महात्मा गांधी ने उनके साहस और व्यक्तित्व को देखकर लौह पुरुष की उपाधि दी थी। आजादी के बाद देश के संविधान निर्माण में भी उनकी बड़ी भूमिका थी। वे संविधान सभा के वरिष्ठ सदस्य भी थे।
Statue of Unity-स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
Statue of Unity –स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को विश्व की एक बहुत बड़ी प्रतिमा के रूप में जाना जाता है, जिसका उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी ने 31 अक्टूबर 2018 को किया था। पटेल जयंती के दिन किया । स्टैच्यू ऑफ यूनिटी गुजरात के नर्मदा जिले के केवड़िया में साधु आइलैंड में मौजूद है, जिसे मोदी जी के ड्रीम प्रोजेक्ट भी कह सकते हैं। ये प्रतिमा इतनी विशाल है कि इसे आप 7 किमी की दूरी से भी देख सकते हैं।
उनकी जयंती को याद करके हम उनके महान कार्यों की सराहना करते हैं और उन्हें नमन करते है