Delhi air pollution: दिल्ली की आबो हवा फिर से बिगड़ने लग गयी है औरदिल्ली दुनिया का चौथा सबसे प्रदूषित शहर बन गया है दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में मुंबई और कोलकाता पांचवें और छठे स्थान पर हैं । पिछले दिनों दिवाली से पहले बढ़ते प्रदूषण स्तर को रोकने में बारिश ने अहम भूमिका निभाई थी । लेकिन दिवाली की रात आतिशबाजी की वजह से वापस प्रदूषित हो गया । प्रदूषणकारी कणों की मात्रा इतनी बढ़ गई है कि आंखें जलने लगी हैं। राष्ट्रीय राजधानी में लोग खराब वायु गुणवत्ता के बीच जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर है ।
Delhi air pollution: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, शुक्रवार सुबह 8 बजेDelhi में हवा की गुणवत्ता गुरुवार को भी ‘गंभीर’ श्रेणी में बनी गयी है , कई स्थानों पर वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 400 को पार कर गया जो गंभीर श्रेणी में आता है । केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने बताया है की दिल्ली की वायु गुणवत्ता की दृस्टि से वर्तमान में देश में सबसे प्रदूषित शहर है। शहर में वायु गुणवत्ता में सुधार होने तक शहर में सभी निर्माण कार्य निलंबित कर दिए गए है । सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR-इंडिया) के अनुसार, शुक्रवार, 24 नवंबर की सुबह दिल्ली की वायु गुणवत्ता गिरकर ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आ गई, वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 350 से ऊपर था।
Delhi air pollution: इससे पहले नवंबर 2023 में 13 ऐसे दिन आए थे । यह पिछले आठ वर्षों में नवंबर में ऐसे दिनों की सबसे अधिक संख्या है, दिल्ली में इस महीने अब तक आठ ‘गंभीर’ वायु दिवस दर्ज किए गए हैं – जब AQI 400 से अधिक रहा है, पिछले साल, दिल्ली में ऐसे तीन दिन दर्ज किए गए, 2020 में नौ, 2019 और 2018 में आठ-आठ, 2017 में सात, 2016 में 11 और 2015 में सात दिन दर्ज किए गए। शुक्रवार सुबह हवा की दिशा दक्षिणपूर्वी थी। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने कहा है कि शुक्रवार को हवा की दिशा में बदलाव होने की संभावना है, जब तक कि 27 नवंबर को पश्चिमी विक्षोभ के कारण दिल्ली में हल्की बारिश नहीं हो जाती, तब तक हवा की दिशा काफी हद तक पूर्वी बनी रहेगी। दिल्ली का न्यूनतम तापमान भी कम रहने की उम्मीद है, जो शुक्रवार से सप्ताहांत तक 10-11 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहेगा, जो 27 नवंबर तक बढ़कर 13 डिग्री हो जाएगा। गुरुवार को दिल्ली का न्यूनतम तापमान 9.2 डिग्री सेल्सियस था – जो सामान्य से दो डिग्री कम है ।
Delhi air pollution:जाने AQI के बारे में
हवा की क्वालिटी मापने के लिए विभिन्न देशों में एयर क्वालिटी इंडेक्स बनाए गए हैं । ये सूचकांक देश में हवा की गुणवत्ता को मापते हैं और बताते हैं कि हवा में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित मानदंडों से अधिक है या नहीं- शून्य और 50 के बीच एक को अच्छा, 51 और 100 के बीच संतोषजनक, 101 और 200 के बीच मध्यम, 201 और 300 के बीच खराब, 301 और 400 के बीच बहुत खराब, 401 और 450 के बीच गंभीर और 450 से ऊपर गंभीर प्लस माना जाता है।51 से 100 के बीच AQI को ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच को ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच को ‘खराब’, 301 और 400 के बीच को ‘बहुत खराब’ और 400 से अधिक के बीच AQI को वर्गीकृत किया जाता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने इसे ‘गंभीर’ बताया है।
Delhi air pollution:हवा में पटाखों ने घोला जहर
गुरुवार सुबह सात बजे AQI 275 (खराब श्रेणी) दर्ज किया गया जो शाम चार बजे तक धीरे-धीरे बढ़कर 358 हो गया । शुक्रवार शाम चार बजे समाप्त 24 घंटों में एक्यूआई गाजियाबाद में 186 से बढ़कर 349, गुरुग्राम में 193 से 349, नोएडा में 189 से 363, ग्रेटर नोएडा में 165 से 342 और फरीदाबाद में 172 से 370 हो गया। इन जगहों पर जमकर पटाखे फोड़े गए है दिल्ली के आरके पुरम (402), जहांगीरपुरी (419), बवाना (407) और मुंडका (403) सहित कुछ क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर ‘गंभीर’ श्रेणी (एक्यूआई 400 और 450 के बीच) तक पहुंच गया है ।
Delhi air pollution:दिल्ली के वायु प्रदूषण में किसानों की भी भूमिका
किसान धान पकने के बाद फसल का ऊपरी हिस्सा काट लेते हैं क्योंकि वही काम का होता है बाकी किसान के लिये बेकार होता है। उन्हें अगली फसल बोने के लिये खेत खाली करने होते हैं जिस वजह से पराली को जला दिया जाता है।आजकल पराली इसलिये भी अधिक होती है क्योंकि किसान अपना समय बचाने के लिये मशीनों से धान की कटाई करवाते हैं। मशीनें धान का केवल ऊपरी हिस्सा काटती हैं और नीचे का हिस्सा अब पहले से ज़्यादा बचता है। इसे हरियाणा तथा पंजाब में पराली कहा जाता है।
वायु प्रदूषण के प्रभाव
हवा में अवांछित गैसों की उपस्थिति से मनुष्य, पशुओं तथा पक्षियों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इससे दमा, सर्दी, अंधापन, श्रवण शक्ति कमज़ोर होना, त्वचा रोग आदि बीमारियाँ पैदा होती हैं। लंबे समय तक ऐसी आबोहवा के संपर्क में रहने से लोगों को सांस संबंधी बीमारी हो सकती है. फेफड़े और हृदय रोग से संबंधित लोग अधिक प्रभावित होते हैं ।
वायु प्रदूषण के नियंत्रण के उपाय
वायु प्रदूषण की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिये कारखानों को शहरी क्षेत्र से दूर स्थापित किया जाना चाहिए तथा कारखानों की चिमनियों की अधिक ऊँचाई व इनमें फिल्टरों के उपयोग की अनिवार्यता होनी चाहिए । साथ ही जनसंख्या की वृद्धि को स्थिर करने की आवश्यकता है जिससे खाद्य व आवास के लिये पेड़ों व वनों अनावश्यक रूप से न काटना पड़े। साथ ही आम जनता को वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों का ज्ञान कराना भी ज़रूरी है जिससे वे स्वयं प्रदूषण नियंत्रण के सार्थक उपायों को अपनाकर इसे नियंत्रित करने में योगदान दे सकें। इसके लिये सभी प्रकार के प्रचार माध्यमों का उपयोग करना चाहिये।गाडि़यों एवं दुपहिया वाहनों की ट्यूनिंग (Tuning) की जानी आवश्यक है ताकि अधजला धुआँ बाहर आकर पर्यावरण को दूषित न करे। साथ ही सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा दिया जाना आवश्यक है। निर्धूम चूल्हा व सौर ऊर्जा की तकनीक को प्रोत्साहित करना चाहिये। इसको पाठ्यक्रम में शामिल करके बच्चों में इसके प्रति चेतना जागृत की जानी चाहिये।