Uttarakhand Tunnel Rescue : उत्तराखंड सुरंग बचाव महाअभियान में आज 17 वे दिन आखिर सफलता मिल गयी है आज 17 दिन बाद ये मजदुर आज खुली हवा में साँस लेंगे ये पुरे देश के लिए बहुत बड़ी ख़ुशख़बरी है । 12 नवंबर दिवाली के दिन सिल्क्यारा Uttarkashi में भूस्खलन होने के बाद निर्माणाधीन एक सुरंग ढह गई थी, जिससे अंदर काम कर रहे मजदूर अंदर फंस गए थे। बचाव अधिकारियों ने फंसे हुए श्रमिकों को बचाने के लिए कड़ी मेहनत की और महाअभियान में सफलता प्राप्त कर ली है ।सभी मजदूरों को सकुशल एक एक करके बाहर निकाला जा रहा जा रहा है पहले उनकी सुरंग में अस्थाई चिकत्सा कैंप में जाँच होगी उसके बाद एम्बुलेंस के उन्हें अस्पताल ले जाया जाएगा अगर कोई मजदूर गंभीर हो तो उसके लिए सेना के चिनूक हेलीकॉप्टर को भी तैनात कर रखा है । Uttarakhand के चिन्यालीसौड़ में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 41 बिस्तरों का एक अस्पताल पहले ही स्थापित किया गया था वहा उन्हें चिकित्सकीय निगरानी में रखा जाएगा ।
Uttarkashi : में सिलक्यारा टनल में भूस्खलन होने के बाद निर्माणाधीन एक सुरंग ढह गई थी जिससे 8 राज्यों के 41 मजदूर अंदर फंस गए थे जिसमें उत्तराखंड के 2, हिमाचल प्रदेश का 1, यूपी के 8, बिहार के 5, पश्चिम बंगाल के 3, असम के 2, झारखंड के 15 और ओडिशा के 5 मजदूर शामिल है । सिल्क्यारा में बचाव अभियान में मदद कर रहे जोजिला सुरंग के परियोजना प्रमुख ने बुधवार को बताया कि बचाव मार्ग को पूरा करने के लिए शुरुआत में मलबे के बीच छह-छह मीटर के दो और पाइप बिछाए जाने थे । कई दिनों तक चले बचाव अभियान को तेज करने के लिए दिल्ली से सात विशेषज्ञों की एक टीम साइट पर बुलाई गयी । बुधवार रात को ड्रिलिंग के दौरान टीम को मलबे में स्टील की छड़ें दबी हुई मिलीं, जिससे ड्रिलिंग प्रक्रिया में कुछ बाधा उत्पन्न हुई तो गैस कटर के माध्यम से उन्हें कटा दिया गया है उसके बाद क्षैतिज ड्रिलिंग के माध्यम से 44 मीटर तक का एक एस्केप पाइप मलबे में डाला गया। मलबे के दूसरी ओर फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए बचावकर्मियों को कुल मिलाकर लगभग 57 मीटर तक ड्रिलिंग करनी पड़ी सबसे बड़ा खतरा ड्रिलिंग के दौरान कंपन का का था , डर था कि ड्रिलिंग हुई तो कहीं कम्पन से और मलबा ना गिर जाए । इसलिए ये पूरा काम बड़ी सावधानी से करना जरुरी था । इसी बीच बचाव कार्य में बहुत सी चुनातियों का सामना करना पड़ा और मशीनों की मदद से ड्रिलिंग में परेशानी आयी और ऑगर मशीन भी ख़राब हो गयी तब मजदूरों ने आपने हाथो से दिन रात एक करकर आखिरकार 80 मीटर तक आर पार पाइप भेजने में आज 17 वे दिन सफलता प्राप्त कर ही ली । इस दौरान लगातार स्थानीय लोगो के साथ मजदूरों और अधिकारियो ने बाबा गेपरनाथ की भी लगातार उपासना की और उनका एक मंदिर भी स्थापित किया गया ।
Uttarakhand Tunnel Rescue : बीच बीच में कैमरे के जरिये मजदूरों की फोटो ने राहत दी
इसी बीच सुरंग में सुरक्षित मजदूरों की तस्वीरों ने राहत तो दी, इंडोस्कोपिक कैमरे के जरिए ये कैमरे के जरिए ये तस्वीरें आई हैं, मजदूर पीले और सफेद हेलमेट पहने हुए दिखाई दिए , इन तस्वीरों ने मजदूरों के सकुशल होने का भरोसा दिया और राहत कार्य की गति बढ़ा दी गयी ।
Uttarakhand Tunnel Rescue : लगातार मजदूरों को खाना और सुविधाएं उपलब्ध कराई गयी
मजदूरों के टनल में फंसने के बाद पहली बार 20 नवंबर को अंदर खाना पहुंचाया जा सका था। सोमवार की रात 24 बोतल भरकर खिचड़ी और दाल भेजी गई थी । 6-7 दिन बाद पहलीबार मजदूरों को भरपेट भोजन मिला था । इसके अलावा संतरे, सेब और नींबू का जूस भी भेजा गया था । इसके अलावा मल्टी विटामिन, मुरमुरा और सूखे मेवे भी भेजे गए थे । तब से लगातार मजदूरों को खाने-पीने की सभी चीजें पाइप के जरिए ही भेजी जा रही हैं । मंगलवार को मजदूरों को रात के खाने में पाइप के जरिए शाकाहारी पुलाव, मटर-पनीर और मक्खन के साथ चपाती भी भेजी गईं । टनल में मलबे के पीछे फंसे मजदूरों को सेब, ऑरेंज, नींबू पानी के साथ-साथ 5 दर्जन केले भी भेजे गए हैं । छह इंच की पाइपलाइन डाले जाने के बाद ही कई चीजें चीजें भेजने में सफलता मिली है । जैसे अब दवा के साथ-साथ नमक और इलेक्ट्रॉल पाउडर के पैकेट भी श्रमिकों तक पहुंचाए गए थे ।
Uttarakhand Tunnel Rescue : क्या क्या प्लान बनाया गया था मजदूरों को बाहर निकालने के लिए
प्लान कुछ ऐसा था कि ड्रिलिंग के जरिए मलबे में रास्ता बनाते हुए उसमें 800 मिमी और 900 मिमी व्यास के कई बड़े पाइप को एक के बाद एक इस तरह डाला जाएगा कि मलबे के एक ओर से दूसरी ओर तक एक वैकल्पिक सुरंग बन जाए और श्रमिक उसके माध्यम से बाहर आ जाएं। इससे पहले, मंगलवार देर रात एक छोटी ऑगर मशीन से मलबे में ड्रिलिंग शुरू की गई थी, लेकिन इस दौरान लैंडस्लाइड होने से काम को बीच में रोकना पड़ा था और बाद में वह ऑगर मशीन भी खराब हो गयी थी। छोटी ऑगर मशीन के खराब होने के बाद भारतीय वायुसेना के C-130 हरक्यूलिस विमानों के जरिए 25 टन वजनी बड़ी, अत्याधुनिक और शक्तिशाली अमेरिकी ऑगर मशीन 2 हिस्सों में दिल्ली से उत्तरकाशी पहुंचाई गयी जिससे गुरुवार को दोबारा ड्रिलिंग शुरू की गयी।इसी बीच बचाव कार्य में बहुत सी चुनातियों का सामना करना पड़ा और मशीनों की मदद से ड्रिलिंग में परेशानी आयी और ऑगर मशीन भी ख़राब हो गयी तब मजदूरों ने आपने हाथो से दिन रात एक करकर आखिरकार 80 मीटर तक आर पार पाइप भेजने में आज 17 वे दिन सफलता प्राप्त कर ही ली ।
Uttarakhand Tunnel Rescue :मजदूरों से लगातार हो रही बात
अधिकारियों ने बताया कि सुरंग में फंसे मजदूरों को लगातार खाने-पीने की चीजे भेजने के साथ साथ ऑक्सीजन, बिजली, दवाइयां और पानी भी पाइप के जरिए बराबर पहुंचाया गया और मजदूरों से लगातार बातचीत भी जारी रखी गयी और बीच-बीच में उनकी उनके परिजनों से भी बात कराई गयी ताकि उनमे सम्बल बना रहे ।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि सुरक्षा और उच्चतम गुणवत्ता मानकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) देश भर में सभी 29 निर्माणाधीन सुरंगों का सुरक्षा ऑडिट करेगा ताकि आने वाले समय में ऐसी दुर्घटना से बचा जा सके ।
FAQ
उत्तराखंड सुरंग बचाव क्या है?
12 नवंबर दिवाली के दिन सिल्क्यारा Uttarkashi में भूस्खलन होने के बाद निर्माणाधीन एक सुरंग ढह गई थी, जिससे अंदर काम कर रहे मजदूर अंदर फंस गए थे। बचाव अधिकारियों ने फंसे हुए श्रमिकों को बचाने के लिए कड़ी मेहनत की और महाअभियान में सफलता प्राप्त कर ली है