World Soil Day 2023 : मिट्टी हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। हिंदू धर्म में भी मिट्टी का विशेष महत्व होता है। इसलिए यहां कई तीज-त्योहार और शादी-विवाह में माटी पूजन का आज भी महत्व है। धर्म ग्रंथों में भी मिट्टी के महत्व के बारे में बताया गया है यह हमें आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करती हैं साथ ही पौधों को भी पोषण के लिए प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले 18 रासायनिक तत्वों की आवश्यकता होती है जो उनके स्वस्थ विकास के लिए आवश्यक हैं। और आवश्यक 18 तत्वों में से, मिट्टी 15 की आपूर्ति करती है तथा शेष 3 प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से पौधों द्वारा अवशोषित होते हैं। हमारा लगभग 95% भोजन मिट्टी से आता है।आने वाली पीढ़ियों मिटटी का महत्व बताने , टिकाऊ मिट्टी प्रबंधन की दिशा में प्रयासों के लिए प्रेरित करने के लिए और हमारे जीवन में मिट्टी के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रतिवर्ष 5 दिसंबर को World Soil Day मनाया जाता है।
World Soil Day 2023 : मृदा दिवस मिट्टी की जैव विविधता को संरक्षित करने, मिटटी की उर्वरता में सुधार करने और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए महत्वपूर्ण है। मिट्टी का क्षरण, कटाव और प्रदूषण इसके स्वास्थ्य और उत्पादकता के लिए गंभीर खतरे पैदा करते हैं। विश्व मृदा दिवस का उद्देश्य इन मुद्दों को उजागर करना और वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए स्थायी मृदा प्रबंधन करने के लिए महत्वपूर्ण है। प्रत्येक वर्ष, World Soil Day मनाया जाता है जो मृदा स्वास्थ्य और संरक्षण के एक विशेष पहलू पर केंद्रित होता है।सारा जीवन मिट्टी से ही शुरू और ख़त्म होता है। यह भोजन, दवा और अन्य चीजों के अलावा हमारे पानी को फिल्टर करने का स्रोत है। हममें से अधिकांश लोग मिट्टी को हल्के में लेते हैं और मानते हैं कि यह हमेशा आसपास रहेगी। लेकिन यह सच्चाई से बहुत दूर है. 0,4 इंच मिट्टी को उगाने में 1,000 से अधिक वर्ष लग जाते हैं।
World Soil Day 2023 : विश्व मृदा दिवस थीम
विश्व मृदा दिवस (डब्ल्यूएसडी) 2023 और इसके अभियान का लक्ष्य लचीली और टिकाऊ कृषि खाद्य प्रणाली बनाने में मिट्टी और पानी की भूमिका के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना है। World Soil Day 2023 थीम ‘मिट्टी और पानी, जीवन का स्रोत’ पर केंद्रित है।
World Soil Day 2023 : विश्व मृदा दिवस 2023: इतिहास
विश्व मृदा दिवस हर साल थाईलैंड के राजा भूमिबोल अदुल्यादेज के जन्मदिन पर मनाया जाता है। उनका जन्म 5 दिसंबर को ही हुआ था। राजा भूमिबोल अदुल्यादेज के बारे में कहा जाता है कि राजा भूमिबोल ने थाईलैंड पर 70 साल तक शासन किया था।इस दौरान राजा भूमिबोल ने कृषि पर विशेष ध्यान दिया। यह भी कहा जाता है कि राजा भूमिबोल अपने देश के हर गरीब और किसान से मिलते थे और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए हर संभव प्रयास करते थे। आधिकारिक रूप से जून 2013 में, एफएओ सम्मेलन ने विश्व मृदा दिवस को मानाने का प्रस्ताव रखा गया था । बाद में 68वीं संयुक्त राष्ट्रीय महासभा से संपर्क किया और इसे आधिकारिक रूप से अपनाने का अनुरोध किया। दिसंबर 2013 में संयुक्त राष्ट्र की महासभा द्वारा एक सम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसमें वर्तमान समय में मृदा प्रबंधन के सामने आने वाली चुनौतियों और कारखानों से निकलने वाले विषाक्त पदार्थों के कारण होने वाले मृदा प्रदूषण की रोकथाम के साथ-साथ मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार के उपायों पर चर्चा की गई थी। 2013 के अंत में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 5 दिसंबर 2014 को पहले आधिकारिक विश्व मृदा दिवस के रूप मानाने का निर्णय लिया गया तभी से प्रतिवर्ष 5 दिसंबर को World Soil Day मनाया जाता है ।
World Soil Day 2023 : पंच तत्व का भी प्रतीक है मिट्टी से बनी चीजें
ऐसी मान्यता है कि, मिट्टी से बनी चीजों का प्रयोग करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है। क्योंकि इसे पंचतत्व का प्रतीक माना गया है. इसका कारण यह है कि, जब मिट्टी से किसी चीज को बनाया जाता है तो पहले मिट्टी को पानी में गलाया जाता है जो भूमि तत्व और जल तत्व का प्रतीक होता है। इसके बाद इसे विशेष आकृति देकर धूप और हवा में सुखाया जाता है, जो आकाश और वायु तत्व का प्रतीक है। इसके बाद आखिर में मिट्टी से बनी वस्तु को आग में तपाकर मजबूत किया जाता है, यह अग्नि तत्व का प्रतीक है। यही कारण है कि, हिंदू धर्म में मिट्टी के बनी चीजों को शुद्ध माना जाता है और पूजा-पाठ में इसका इस्तेमाल किया जाता है।
मिट्टी से बनी ये चीजें हैं शुभ भी मानी जाती है
- दीपक:पूजा-पाठ के लिए वैसे तो विभिन्न धातुओं से निर्मित दीपक का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन मिट्टी से बना दीपक बहुत शुभ होता है। मिट्टी का दीप जलाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है।
- मिट्टी की मूर्ति:दीपक की तरह ही हिंदू धर्म में मिट्टी से बनी देवी-देवताओं की मूर्ति को शुभ माना गया है। इसलिए नियमित पूजा-पाठ से लेकर विशेष अनुष्ठान में मिट्टी की मूर्ति स्थापित की जाती है।
- मिट्टी के गमले:अगर आप अपने घर, आंगन या बालकनी में फूल के पौधे लगाते हैं तो मिट्टी के गमलों का ही प्रयोग करें। इसे बहुत शुभ माना गया है। खासकर तुलसी का पौधा मिट्टी के गमले में ही लगाना चाहिए।क्योंकि प्लास्टिक, लोहे, सीमेंट या अन्य चीजों में तुलसी का पौधा लगाना शुभ नहीं होता है। ऐसा करने से घर की सुख-शांति भंग होती है।
- घड़ा या सुराही: ठंडे पानी के लिए घड़ा या सुराही का प्रयोग किया जाता है। लेकिन सेहत के साथ ही घर की शुभता के लिए मिट्टी का घड़ा बहुत शुभ होत है। जिस घर में मिट्टी या सुराही में पानी रखा जाता है, वहां बरकत बनी रहती है। लेकिन आपको इस बात का ध्यान रखना है कि, घड़ा या सुराही हमेशा पानी से भरा रहे, इसे भूलकर भी खाली न रखें।
World Soil Day 2023 : विश्व मृदा दिवस पर यह भी जानिए
इसी क्रम में आज हम आपको यह भी बताना चाहते है की हमारे देश में पुराने जमाने से ही मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाया जाता है। मिट्टी के बर्तनों में बने खाने का सेवन करने से शरीर को तमाम पोषक तत्व मिलते हैं और शरीर कई बीमारियों से दूर भी रहता है। दुनियाभर में मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने को लेकर हुए शोध और अध्ययन से यह पता चलता है कि अन्य बर्तनों की तुलना में मिट्टी के बर्तन में भोजन पकाने के तमाम फायदे हैं। हालांकि आज के समय में मिट्टी के बर्तन का इस्तेमाल उतना नहीं किया जाता है लेकिन फिर भी आप तमाम जगहों पर मिट्टी के बर्तन में बने चावल, मिट्टी के बर्तन में उबाले गए दूध या फिर तंदूरी चाय (मिट्टी के बर्तन में उबली) का सेवन कर सकते हैं। मिट्टी के बर्तन, या पारंपरिक भारतीय मिट्टी के बर्तन, सदियों से भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहे हैं। आपको बतादें कि मिट्टी के बर्तन आज के नहीं बल्कि कई सदियों से चले आ रहे हैं। इन प्राकृतिक, पर्यावरण के अनुकूल बर्तनों ने अपने अद्वितीय गुणों और स्वास्थ्य लाभों के लिए भारतीय घरों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मिट्टी के बर्तन का उपयोग सिंधु घाटी सभ्यता के समय हुआ था जहा पानी के भंडारण और खाना पकाने के लिए मिट्टी के बर्तनों के उपयोग किया जाता था । यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और आज भी मिट्टी के बर्तन भारतीय घरों की एक प्रमुख विशेषता है।। पहले के समय में लोग खाना पकाने और परोसने के लिए मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल करते थे। मिट्टी के बर्तन में बने भोजन में खनिज और पोषक तत्व जैसे लोहा, फास्फोरस, कैल्शियम, मैग्नीशियम आदि नष्ट नहीं होते हैं। इसलिए लोग पहले बीमार भी कम पड़ते थे ।
धरती पर पाई जाने वाली मिट्टी को निकालकर उसे एक बर्तन के आकार में ढाला जाता है। फिर इसे सुखा कर आंच में पकाया जाता है। इसके बाद यह सफेद से लाल रंग में बदल जाता है। इसे ही मिट्टी का बर्तन कहते हैं।आयुर्वेद तो हमेशा मिट्टी के बर्तनों को उपयोग में लेने को कहता है. मिट्टी के बर्तन में बने खाने में आयरन, सल्फर, कैल्शियम, मैग्नीशियम, जैसे पोषक तत्व मौजूद रहते हैं. जो शरीर को बहुत फायदा पहुंचाते है जिससे इंसान कम बीमार पड़ता है
लेकिन आज समय बदलने के साथ यह परंपरा खो गई है। रसोई में रखे मिट्टी के बर्तनों की जगह आज स्टील और एल्युमीनियम के बर्तनों ने ले ली है। बता दे की एल्युमीनियम के बर्तन में खाना पकाने से 87% पोषक तत्व, यानी न्यूट्रिएंट, पीतल के बर्तन में 7% और कांसे के बर्तन में 3% पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं। लेकिन आधुनिकता का हमारे जीवन पर इतना प्रभाव पड़ा है कि न केवल हमारे रहन-सहन के तरीके में बदलाव आया है बल्कि हमारे खान-पान का तरीका भी पूरी तरह से बदल गया है। इसके चलते किचन में भी इसी तरह कई बदलाव हुए है। जी हां पहले महिलाएं खाना बनाने के लिए चूल्हे और मिट्टी के बर्तन का प्रयोग किया करते थे, अब उनकी जगह गैस चूल्हों, फ्रिज और ओवन ने ले लिया है। लेकिन क्या आप जानते हैं मिट्टी के बर्तनों में पकाया और खाया जाने वाला भोजन सेहत के बहुत ही फायदेमंद होता है। पर्यावरण और स्वास्थ्य के प्रति बढ़ रही जागरूकता के कारण फिर एक बार मिट्टी के बर्तनों के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। खास कर कोरोना काल के बाद इन फायदों को देखते हुए बाजार में दोबारा से मिट्टी के बर्तनों का चलन आ गया है। महिलाएं खाना बनाने से लेकर खाना खाने तक और पानी के लिए भी मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल करती हैं। आज हम आपको मिट्टी के बर्तनों में खाना खाने के फायदों के बारे में बता रहे हैं।
मिट्टी के बर्तन में बने खाने का सेवन दिल के लिए फायदेमंद (Good for Heart Health)
विज्ञान भी इस बात की पुष्टि करता है कि मिट्टी के बर्तन में बने खाने का सेवन दिल के लिए बहुत फायदेमंद होता है। मिट्टी के बर्तनों में भोजन बनाने में तेल का इस्तेमाल बहुत कम होता है और इसमें भोजन के पकने की प्रक्रिया धीमी होती है। इसलिए मिट्टी के बर्तन में बने भोजन में प्राकृतिक तेल और नमी की मात्रा बरकरार रहती है।इसलिए ये कोलेस्ट्रॉल से लेकर हार्ट तक के लिए फायदेमंद होता है। इसलिए मिट्टी के बर्तनों में बने भोजन का सेवन दिल की सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। दिल की बीमारियों से जूझ रहे लोगों को मिट्टी के बर्तन में बने खाने का सेवन जरूर करना चाहिए।
मिट्टी के बर्तन में बना भोजन डायबिटीज की समस्या में फायदेमंद (Good for Diabetic Patient)
मधुमेह (डायबिटीज) की समस्या से जूझ रहे व्यक्तियों के लिए मिट्टी के बर्तन में बना भोजन अधिक फायदेमंद होता है। चूंकि मिट्टी के बर्तन में भोजन पकाने की प्रक्रिया धीमी होती है और सही तरीके से इसमें भोजन को पकाया जाता है। इसमें पका खाना तुरंत ग्लूकोज में कंवर्ट नहीं होता है डायबिटीज के रोगियों के लिए इंसुलिन का उत्पादन संतुलित होना बेहद जरूरी होता है। इसके अलावा तमाम विशेषज्ञों का मानना है कि मिट्टी के बर्तन में बने भोजन का सेवन करने से डायबिटीज के रोगियों के शरीर की इम्यूनिटी बेहतर होती है। इसलिए भी मिट्टी के बर्तन में बने भोजन का सेवन डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद माना जाता है।
इम्युनिटी होती है बेहतर (Immunity is better)
मिट्टी में मौजूद पोषक त्तव और खाने के पोषक तत्व मिलकर शरीर को अंदर से मजबूत बनाने हैं, इससे इम्युनिटी भी बेहतर बानी रहती है ।
मिट्टी के बर्तन में बना भोजन एसिडिटी की समस्या से बचाता है (Prevent Acidity)
कई शोध और अध्ययन इस बात की पुष्टि करते हैं कि मिट्टी के बर्तन में बना भोजन एसिडिटी की समस्या में भी फायदेमंद होता है। दरअसल मिट्टी के बर्तनों में प्राकृतिक तौर पर अल्कलाइन मौजूद होते हैं जो इसके पीएच स्तर को संतुलित रखने का काम करते हैं। इसलिए इसमें बने भोजन का सेवन करने से एसिडिटी की समस्या का खतरा कम होता है। संतुलित पीएच स्तर एसिडिटी की समस्या में फायदेमंद माना जाता है।
डिस्पोजेबल बर्तनों से उत्पन्न कचरे की मात्रा को कम करते हैं
प्लास्टिक और अन्य सिंथेटिक सामग्रियों के विपरीत, जिन्हें सड़ने में सैकड़ों साल लग जाते हैं, मिट्टी के बर्तनों को पर्यावरण को कोई नुकसान पहुंचाए बिना प्राकृतिक रूप से निपटाया जा सकता है। इसके अलावा, वे पुन: प्रयोज्य हैं और डिस्पोजेबल बर्तनों से उत्पन्न कचरे की मात्रा को कम करते हैं।
फिर से गर्म करने की आवश्यकता नही
अन्य बर्तनों की अपेक्षा मिट्टी के बर्तन में खाना जल्दी से ठंडा नही होता क्योंकि मिट्टी अधिक समय तक गर्म रहती हैं व अंदर का तापमान भी जल्दी से नीचे नही गिरता। इसलिये मिट्टी के बर्तन में पके खाने को फिर से गर्म करने की आवश्यकता नही। यदि आप कई देर बाद भोजन कर रहे हैं तो इसे गर्म करना पड़ेगा लेकिन फिर भी यह अन्य बर्तनों की तुलना में हानिकारक नही होगा क्योंकि भोजन को फिर से गर्म करने से उसके पोषक तत्व और ज्यादा खत्म हो जाते हैं जो मिट्टी के बर्तन में नही होता।
देश की मिटटी को महत्व देने के लिए श्री यादे माटी कला बोर्ड का भी गठन किया गया है । श्री यादे माटी कला बोर्ड मिट्टी से काम करने वाले दस्तकारों की आय में वृद्धि, तकनीकी प्रशिक्षण एवं उन्नत किस्म के औजार उपलब्ध कराने, मेलों एवं प्रदर्शनियों से जोड़ने और आधारभूत सुविधाएं विकसित करने के लिए कार्य कर रहा है ।