Human Rights Day 2023 : मानवाधिकार का संरक्षण सम्मान और न्याय का सशक्त माध्यम

LEKH RAJ
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Human Rights Day 2023 :आज के दिन को Human Rights day  के रूप में पुरे देश में मनाया जाता है  national human rights आयोग भी आज मानव अधिकार दिवस मनाएगा। देश के उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ इसके मुख्य अतिथि होंगे। इसके जरिये  संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा सभी व्‍यक्तियों के लिए मानव अधिकारों के संरक्षण और संवर्धन हेतु एक वैश्विक मानक के रूप में  घोषित किया गया था, चाहे उनकी जाति, लिंग, रंग, पंथ, भाषा, राजनीतिक आस्था या किसी अन्य स्थिति कोई भी हो। इस साल मानवाधिकार की थीम ‘सभी के लिए स्वतंत्रता, समानता और न्याय’ है।

Human Rights Day 2023

Human Rights Day 2023 :मानव अधिकार वे मूल अधिकार हैं जो इस धरती पर प्रत्येक व्यक्ति के पास हैं।  उन अधिकारों का व्यक्ति की आयु, प्रजातीय मूल, निवास-स्थान, भाषा, धर्म पर कोई असर नहीं पड़ता। हालांकि भारत में अगर मानवाधिकारों की बात की जाए तो यह साफ है कि आज भी बहुत सारे लोगों को मानवाधिकार के बारे में जानकारी ही नहीं है, जबकि वे उनके खुद के अधिकार हैं। पिछड़े हुए राज्यों एवं गांवों में जहां साक्षरता का स्तर थोड़ा कम है, वहां मानवाधिकारों का हनन होना आम बात है। ऐसे इलाकों में जिन लोगों के पास ताकत है, वे इनका पालन नहीं करते और सामान्य लोगों पर दबाव बनाते हैं। शहरों में जिन लोगों को मानवाधिकारों की जानकारी तो है लेकिन वे इनसे गलत फायदा भी उठा लेते हैं। मानवाधिकार आयोग का काम ज्यादा से ज्यादा लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है।

Human Rights Day 2023 : क्या है इस दिन को मनाने का उद्देश्य 

मानवाधिकार दिवस को मनाने का उद्देश्य है कि विश्व के सभी लोग सुरक्षित महसूस कर सकें और भेदभाव रहित स्वतंत्रतापूर्ण जीवन जी सकें। मानवाधिकार में स्वास्थ्य, आर्थिक सामाजिक व शिक्षा का अधिकार भी शामिल है। इस दिन को मनाने का मकसद है कि लोगों को उनके अधिकार के बारे में सही जानकारी मिल सके।

Human Rights Day 2023 : का इतिहास

सेकेंड वर्ल्ड वॉर के दौरान हुए लगातार अत्याचारों ने मानव अधिकारों को अतंरराष्ट्रीय मंच पर एक अहम मुद्दा बना दिया। इसलिए 10 दिसंबर 1948 के दिन UN के 56 सदस्यों ने यूनिवर्सल डिक्लेरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स को अडॉप्ट किया था। हालांकि इसकी आधिकारिक घोषणा 10 दिसंबर 1950 को की गई। तभी  से 10 दिसंबर को इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स-डे के रूप में मनाया जाने लगा। भारत में 28 सितंबर 1993 को ह्यूमन राइट्स कानून में शामिल किया गया। इसी साल 12 अक्टूबर को National Human Rights Commission का गठन किया गया। भारत में मानवाधिकार के लिए संविधान में कानून बनाया गया है। हर एक भारतीय इन अधिकारों के बारे में पता होना चाहिए।

भारत में मानवाधिकार
मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए संयुक्त राष्ट्र ने मानवाधिकार परिषद जिसे UNHRC का गठन किया। इसमें यूएन के 47 सदस्य देश शामिल हैं। भारत को 2021 में छठी बार UNSC के लिए चुना गया। भारत 2024 तक इसका सदस्य रहेगा। भारतीय संविधान में मानवाधिकारों को शामिल किया गया है। मूल अधिकारों में ही इसके लिए प्रावधान किए गए हैं। आर्टिकल 12 से लेकर 35 तक हर नागरिक को बिना भेदभाव 6 मूल अधिकार दिए गए हैं। स्टेट पर ये अधिकार बाध्यकारी हैं। अगर इनका हनन होता है तो नागरिक कोर्ट का सहारा ले सकते हैं। वहीं संविधान के भाग 4 में नीति निर्देशक तत्वों में भी मानवाधिकार को सुनिश्चित किया गया है।

भारत के संविधान के भाग-3 में 7 मौलिक अधिकारों को शामिल किया गया था। इसमें संपत्ति का अधिकार भी शामिल था। जिसे 44वें संविधान  द्वारा हटा दिया गया था। अब 6 मौलिक अधिकार है।

  • समानता का अधिकार
  • स्वतंत्रता का अधिकार
  • शोषण के विरुद्ध अधिकार
  • धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार
  • शिक्षा और संस्कृति संबंधी अधिकार
  • संवैधानिक उपचारों का अधिकार

 

कौन रखता है मानवाधिकारों पर निगरानी?
भारत में नागरिकों को मिलने वाले मानवाधिकारों की निगरानी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission) करता है। मानव अधिकारों के संरक्षण के मामले में यह देश की सर्वोच्च संस्था है। यह एक सांविधिक निकाय है, जिसका गठन 1991 के पेरिस सिद्धांतों के मुताबिक हुआ है। ये आयोग किसी भी मानवाधिकारों से जुड़े मामले में न सिर्फ दखल दे सकता है बल्कि जांच कर सकता है। इसके अलावा महिला आयोग और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग भी मानवाधिकारों का संरक्षण करने वाली संस्थाएं हैं।

मानवाधिकार उल्लंघन पर  शिकायतऑनलाइन पोर्टल http://www.hrcnet.nic.in पर जाकर शिकायत की जा सकती है ।

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