Veer Bal Diwas : आज 26 दिसंबर है और आज के दिन को पुरे भारत में Veer Bal Diwas के रूप में मनाया जाता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को राजधानी स्थित भारत mandapam में ‘वीर बाल दिवस’ के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत की और युवाओं के एक मार्च पोस्ट को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। कार्यक्रम में जनता को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “मुझे खुशी है कि यह सारा कार्यक्रम अब वैश्विक स्तर पर मनाया जा रहा है। संयुक्त अरब अमीरात, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने इस कार्यक्रम का जश्न मनाना शुरू कर दिया है।” उन्होंने आगे कहा, ‘जब साहस दिखाने की बात आती है तो उम्र मायने नहीं रखती। इस दौरान केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, अनुराग ठाकुर और मीनाक्षी लेखी सहित कई अन्य नेता भी कार्यक्रम में मौजूद थे । भारत मंडपम् में बच्चों द्वारा कीर्तन गायन किया गया , मार्शल आर्ट का प्रदर्शन हुआ बड़ा पैदल मार्च निकाला गया ।
Veer Bal Diwas : इस दौरान केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा, ‘आज PM के सानिध्य में हमारा राष्ट्र प्रेरित है कि सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि देश को पूर्ण रूप से विकसित बनाने के लिए हम सब संकल्प लिए प्रगति के पद पर चले। इसी संकल्प को सुनिश्चित करने के लिए कुशल राष्ट्र कौशल बने 30 साल के लंबे अंतराल के बाद आपके सानिध्य मातृभाषा को केंद्र बिंदुमानकर मातृभूमि को समर्पित नई शिक्षा नीति का गठन हुआ। ये सब इसलिए ताकि विकसित भारत के सपनों को साकार करने के लिए हमारे देश के बालक एवं बालिकाएं आधार बने। इस दिवस को मनाने के लिए सरकार नागरिकों, विशेषकर छोटे बच्चों को साहिबजादों के अदम्य साहस की कहानी से अवगत कराने और शिक्षित करने के लिए पूरे देश में सहभागी कार्यक्रम आयोजित कर रही है। उनके शहादत दिवस को वीर बाल दिवस के रूप में घोषित करके, प्रधान मंत्री मोदी जी ने उनके बलिदान की गाथा को देश और दुनिया के कोने-कोने तक फैलाया है।साहिबजादों के जीवन की कहानी और बलिदान का विवरण देने वाली एक डिजिटल प्रदर्शनी देश भर के स्कूलों और बाल देखभाल संस्थानों में प्रदर्शित की जा रही है। पीएमओ ने बताया कि ‘वीर बाल दिवस’ पर एक फिल्म भी देशभर में दिखाई जा रही है। इसके अलावा, क्विज सहित अन्य प्रतियोगिताएं भी आयोजित कराई जा रही है ।
Veer Bal Diwas : वीर बाल दिवस का इतिहास
सिक्खों के दसवें गुरू गुरू गोबिन्द सिंह के पुत्रों की शहादत के सम्मान में इस दिन को मनाया जाता है इसके पीछे एक कहानी भी है। मुगल शासनकाल के दौरान पंजाब में सिखों के नेता गुरु गोबिंद सिंह के चार बेटे थे। उन्हें चार साहिबजादे खालसा कहा जाता था। धार्मिक उत्पीड़न से सिख समुदाय के लोगों की रक्षा करने के लिए 1699 में गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी । आनंदपुर साहिब में ही उनका एक किला था। मुगलों ने कई बार इन्हें यहां से निकालने का प्रयास किया पर असफल रहें। फिर बाद में मुगलों के समझौता हुआ कि अगर आनंदपुर छोड़ देंगे तो युद्ध नहीं होगा। लेकिन धोखे से गुरु गोबिंद सिंह और उनके अनुयायियों पर सरसा नदी के पास हमला कर दिया गया। तीन पत्नियों से गुरु गोबिंद सिंह चार बेटे: अजीत, जुझार, जोरावर और फतेह थे। उन चारों को 19 वर्ष की आयु से पहले मुगल सेना द्वारा मार डाला गया। उनकी शहादत का सम्मान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल घोषणा की थी कि 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
Veer Bal Diwas : वीर बाल दिवस का महत्व
वीर बाल दिवस खालसा के चार साहिबजादों के बलिदान को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। अंतिम सिख गुरु गोबिंद सिंह के छोटे बच्चों ने अपने आस्था की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। यह उनकी कहानियों को याद करने का भी दिन और यह जानने का भी दिन है कि कैसे उनकी निर्मम हत्या की गई- खासकर जोरावर और फतेह सिंह की। सरसा नदी के तट पर एक लड़ाई के दौरान दोनों साहिबजादे को मुगल सेना ने बंदी बना लिया था। इस्लाम धर्म कबूल नहीं करने पर उन्हें क्रमशः 8 और 5 साल की उम्र में कथित तौर पर जिंदा दफन कर दिया गया था।
Veer Bal Diwas : दिसंबर की 21 से 27 की तारीख, यह ऐसा हफ्ता है जब पूरा सिख समुदाय और देश गर्व से भर जाता है। इस पूरे सप्ताह को शहीदी दिहाड़े के तौर पर मनाने की परंपरा चली आ रही है। यह चार साहिबजादों और माता गुजरी जी को समर्पित किया गया है, जिन्होंने सिख धर्म की रक्षा के लिए खुद की जान तक कुर्बान कर दी, लेकिन मुगलों के सामने शीश नहीं झुकाया। अपनी जान दे दी लेकिन न अपना धर्म बदला और न ही अंतिम समय तक झुकने को तैयार हुए।