Nuclear battery : चीन ने बनायीं सिक्के से भी छोटी Automatic Battery बिना चार्ज चलेगी सालों साल

LEKH RAJ
7 Min Read

Nuclear battery : चीन ने सिक्के के आकार की Nuclear बैटरी (परमाणु बैटरी )का अनावरण किया जो बिना किसी चार्जिंग और मेंटेनेंस के 50 वर्षों तक चलेगी । कंपनी का दावा है कि न तो इस बैटरी में आग लगेगी और न ही दबाव पड़ने पर इसमें विस्फोट होगा, क्योंकि अलग-अलग तापमान पर इसका परीक्षण किया जा चुका है। नेक्स्ट जेनरेशन बैटरी फिलहाल टेस्टिंग फेज में है। जल्द ही मोबाइल फोन और ड्रोन जैसे इक्विपमेंट्स के लिए बड़े पैमाने पर इसका प्रोडक्शन किया जा सकेगा ।

चीन के एक स्टार्टअप ने अब खास तरह की एटॉमिक पावर वाली बैटरी बैटरी तैयार कर ली है। इसे बिना चार्ज बिना चार्जिंग या रखरखाव के  50 सालों तक इस्तेमाल किया जा सकेगा। बैटरी को तैयार करने वाली चीन की स्टार्टअप कंपनी बीटावोल्ट का कहना है कि यह काफी अलग है।  यह बैटरी परमाणु ऊर्जा से चलती है। इसका इस्तेमाल आने वाले समय में  ड्रोन और फोन समेत कई तरह के इक्विपमेंट्स के लिए किया जा सकेगा। इस बैटरी का साइज महज एक सिक्के के बराबर है। तकनीक में भविष्य में स्मार्टफोन को पावर देने की क्षमता हैअगली पीढ़ी की  इस बैटरी का पहले परीक्षण किया जा रहा है और फोन और ड्रोन जैसे व्यावसायिक अनुप्रयोगों के लिए इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाएगा।

Nuclear battery

Nuclear battery : बीजिंग स्थित बेटावोल्ट कंपनी ने कहा कि उसकी परमाणु बैटरी परमाणु ऊर्जा के लघुकरण को साकार करने वाली दुनिया की पहली बैटरी है, जिसमें 63 परमाणु आइसोटोप को एक सिक्के से भी छोटे मॉड्यूल में रखा गया है BV100 कहलाने वाली यह बैटरी निकल (निकल-63) के क्षयकारी रेडियोधर्मी आइसोटोप द्वारा उत्सर्जित ऊर्जा का उपयोग करके बिजली पैदा करती है। निकेल-63 की परतों के बीच में एकल-क्रिस्टल हीरे के अर्धचालक की चादरें हैं जो सिर्फ 10 माइक्रोन मोटी हैं। 15 x 15 x 15 मिलीमीटर मापने वाली, बैटरी की शक्ति 100 माइक्रोवाट है और वोल्टेज 3 वोल्ट है। अपनी जेब में इस तरह का रेडियोएक्टिव रखना जोखिम भरा हो सकता है, लेकिन कंपनी का कहना है कि यह  बैटरी “बिल्कुल सुरक्षित” है। इतना सुरक्षित, वास्तव में, उनका मानना ​​​​है कि इसका उपयोग अंततः पेसमेकर और कृत्रिम हृदय जैसे चिकित्सा उपकरणों को शक्ति देने के लिए किया जा सकेगा स्टार्टअप ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया की  , “बीटावोल्ट परमाणु ऊर्जा बैटरियां एयरोस्पेस, एआई उपकरण, चिकित्सा उपकरण, माइक्रोप्रोसेसर, उन्नत सेंसर, छोटे ड्रोन और माइक्रो-रोबोट जैसे कई परिदृश्यों में लंबे समय तक चलने वाली बिजली आपूर्ति की जरूरतों को पूरा कर सकती हैं। कंपनी असीमित शक्ति लगातार उड़ने वाले ड्रोन, लगातार चलने वाले फ़ोन और ऐसी इलेक्ट्रिक कारें प्रदान कर सकती हैं जिन्हें रिचार्ज करने की आवश्यकता नहीं होती है बीटावोल्ट का दावा है कि इसके स्तरित डिज़ाइन का मतलब यह भी है कि यह आग नहीं पकड़ेगा या अचानक बल के जवाब में विस्फोट नहीं करेगा, जबकि यह -60 डिग्री सेल्सियस से 120 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में भी काम करने में सक्षम है। यह तकनीक चार्जर या पोर्टेबल पावर बैंकों की आवश्यकता को पूरी तरह से समाप्त करके इलेक्ट्रॉनिक्स में क्रांति ला सकती है ।  थर्मोन्यूक्लियर बैटरियों का उपयोग अभी तक  केवल एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में किया जाता है।

Nuclear battery : कैसे काम करती है?

परमाणु ऊर्जा बैटरियां पर्यावरण के अनुकूल हैं। पहली बार इस प्रक्रिया को 20वीं सदी में विकसित किया गया था. सोवियत संघ ओर अमेरिका के वैज्ञानिकों ने मिलकर यह कॉन्सेप्ट तैयार किया था। वैज्ञानिकों ने इस तकनीक का इस्तेमाल अंडरवॉटर सिस्टम और रिमोट साइंटिफिक स्टेशन में किया गया था। हालांकि, इसकी लागत अधिक आ सकती है और यह महंगी बैटरी साबित भी  हो सकती है।चीन 2021-2025 तक अपनी 14वीं पंचवर्षीय योजना के तहत परमाणु बैटरियों को छोटा बनाने की दिशा में काम कर रहा है। बैटरी में एक स्तरित डिज़ाइन है, जो इसे अचानक बल के कारण आग लगने या विस्फोट होने से रोकेगा। परमाणु रिएक्टरों की तरह, वे परमाणु ऊर्जा से बिजली उत्पन्न करते हैं, लेकिन इसमें भिन्नता है कि वे श्रृंखला प्रतिक्रिया का उपयोग नहीं करते हैं। हालाँकि इन्हें आमतौर पर बैटरी कहा जाता है, लेकिन ये तकनीकी रूप से इलेक्ट्रोकेमिकल नहीं हैं और इन्हें चार्ज या रिचार्ज नहीं किया जा सकता है। वे बहुत महंगे तो है लेकिन उनका जीवन बहुत लंबा है और ऊर्जा घनत्व बहुत अधिक है, और इसलिए उनका उपयोग आम तौर पर उन उपकरणों के लिए बिजली स्रोतों के रूप में किया जाता है जिन्हें लंबे समय तक बिना किसी निगरानी के काम करना पड़ता है, जैसे अंतरिक्ष यान, पेसमेकर, पानी के नीचे सिस्टम और स्वचालित वैज्ञानिक स्टेशन।

Nuclear battery : पहले की कोशिशें सफल नहीं हुईं

बहरहाल स्मार्टफोन के लिए परमाणु बैटरी बनाने की पहले की कोशिशें सफल नहीं हो पाई थी  क्योंकि वे बहुत बड़ी थीं या स्मार्टफोन के लिए पर्याप्त बिजली नहीं दे सकती  थीं। वैसे भी स्मार्टफोन पर प्लूटोनियम जैसी रेडियोधर्मी सामग्री का उपयोग करना खतरनाक होता। इसलिए बीटावोल्ट टेक्नोलॉजी इस बार एक अलग रास्ता अपना रही है।  यह एक रेडियोन्यूक्लाइड बैटरी विकसित कर रही है, जिस पर कृत्रिम हीरे की एक परत होती है और यह अर्धचालक परत के रूप में कार्य करती है। इसके अलावा निकल आइसोटोप (निकल-63) का क्षय होता है और उससे ऊर्जा पैदा होती है।

Nuclear battery : बैटरी की खासियतें

डाइमेंशन की बात करें तो बैटरी की लंबाई 15mm, चौड़ाई 15mm और मोटाई 5mm है। यह फ्यूचरिज्म के अनुसार, न्यूक्लियर आइसोटोप और डायमंड सेमीकंडक्टर की वेफर जैसी पतली लेयर से बना है। न्यूक्लियर बैटरी वर्तमान में 3 वोल्ट पर 100 माइक्रोवाट बिजली पैदा करती है। हालांकि, 2025 तक 1 वाट बिजली तक पैदा करने का लक्ष्य रखा गया है। Betavolt ने कहा कि रेडिएशन से इंसानों को कोई खतरा नहीं है। जिससे इसका इस्तेमाल पेसमेकर जैसे मेडिकल इक्विपमेंट में किया जा सकता है। https://www.youtube.com/watch?v=iutbsH1gsCY

Share This Article
1 Review